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आप, दिल्ली और सरकार

Abhivayakti
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आप, दिल्ली और सरकार
दिल्ली अपना अंदाज़ दिखा चुकी है, आज दिल्ली में “आप” की सरकार है जिसे आपने स्वयं चुना है, कारण “आप’ ने वायदे ही ऐसे किए थे कि दिल्ली यह सोच ही नहीं पाई कि वह क्या करे? खैर दिल्ली ने जो किया वह काबिले तारीफ है। अब बारी है दिल्ली के सेवकों की। आम सेवकों की जो खास अंदाज़ मैं दिल्ली की सेवा करना चाहते हैं। जो हर काम दिल्ली की जनता की रायशुमारी से करना चाहते हैं। वे चाहतें हैं कि दिल्ली की आम जनता नाराज़ न हो। इसीलिए दिल्ली की जनता के आम सेवकों ने सरकारी बँगले में न रहने का ऐलान किया और बँगले की बजाय फ्लेट में रहने की बात की। अब दिल्ली सरकार के अधिकारी दिल्ली के नव नियुक्त मुख्य सेवक श्री अरविंद केजरीवाल जी के लिए एक नया फ्लेट तलाशना शुरू कर दिया है पहिले जो भगवानदास रोड पर फ्लेट तैयार किया गया था उसमें रहने से दिल्ली की जनता की नाराजगी मुख्य मंत्री जी मोल लेना नहीं चाहते। बेशक उनके इस निर्णय से दिल्ली की जनता की; उस जनता की जो अपनी मजदूरी (वेतन) का एक हिस्सा दिल्ली के खजाने में टेक्स के रूप जमा कराती है और दिल्ली के विकास की भागीदार बनती है, उसके जमा किए गए पैसों से पहिले तो भगवनदास रोड का फ्लेट तैयार किया गया और अब नया फ्लेट तलाश करके तैयार किया जाना है। यानि फिर से जनता के पैसे की बरबादी! वाह क्या बात है हमारे आम आदमी की जो “आम” दिखने के चक्कर में लगातार खास से भी खास बनाता जा रहा है। दिल्ली की जनता को किए गए वायदों में से इस नयी सरकार के द्वारा पानी और बिजली का वायदा तो पूरा किया जा चुका है परंतु दिल्ली की जनता को यह जरूर जान लेना चाहिए कि इन वायदों को पूरा करने में कहीं दिल्ली को कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है? दिल्ली की बिजली कंपनियों की ओर से लगातार घाटे के चलते महंगी बिजली दी जा रही थी अब वह पचास प्रतिशत कम कर दी गई है? मगर कैसे दिल्ली को इससे कोई लेना देना नहीं है। एक आम आदमी को तो इसी बात से संतोष हो गया है कि उनके द्वारा चुनी गई नई सरकार ने उसे राहत पर राहत देनी शुरू कर दी हैं। अगर इन मिलने वाली राहतों का सिलसिला यूँ ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली पैसे-पैसे को मोहताज हो जाएगी। मुफ्त में मिली हर सुविधा का मूल्य दिल्ली को चुकाना ही पड़ेगा अभी नहीं तो और दो साल बाद या फिर चार साल बाद या हो सकता है बहुत जल्दी! केजरीवाल साहब और उनके साथियों का कहना था कि दिल्ली की सरकार और बिजली कंपनियों की मिलीभगत के कारण दिल्ली में बिजली के बिलों की राशि बहुत ज्यादा होती है यह ठीक भी था परंतु सभी के बार बार पूछने पर भी आप पार्टी ने कभी यह नहीं बताया था कि दिल्ली को बिजली के बिलों में मिलने वाली राहत सबसिडी के द्वारा प्रदान की जाएगी और वह भी केवल पहली चार सौ यूनिट तक। ठीक भी है एक आम आदमी चार सौ यूनिट से ज्यादा बिजली का उपभोग कर भी नही सकता। केजरीवाल साहब का दिल्ली विधान सभा में विश्वासमत के दौरान दिया गया भाषण सुनकर बहुत ही अच्छा लगा और पता लगा कि केजरीवाल साहब का आम आदमी कौन-कौन है! वे एक रिक्शा चलाने वाले को, दिल्ली की सड़क के किनारे खोमचा लगाने वाले को, मजदूरों को, दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों को ही आम आदमी नहीं मानते अपितु उनके आम आदमी की परिभाषा जितना एक आम आदमी सोच सकता है उससे कहीं अधिक विस्तृत है। उनके आम आदमी का दायरा एक इंजीनियर से लेकर मंगल ग्रह तक की यात्रा की तैयारी में जुटे एक वैज्ञानिक तक है। आज हर घर में लगभग हर सदस्य के पास मोबाइल फोन है, कम से कम एक टेलीविज़न सेट है, उस पर काम करने वाला सेट टॉप बाक्स है, रेफ्रीजरेटर (फ्रिज) है, सर्दियों में ठंड से ठिठुरते हुये मौसम से बचाने के लिए पनि ग्राम करने वाली एमरसन रॉड है गर्मियों में गर्मी से बचाने के लिए पंखा है कूलर है और ये सब के सब बिजली से ही चलते हैं। अगर इस सब का हिसाब भी लगाया जाए तो भी औसतन हर घर में चार सौ यूनिट से ज्यादा बिजली की खपत हो ही जाती है जिसके लिए अरविंद जी ने कुछ नहीं किया! पीने के पानी का मुद्दा तो दिल्ली वालों से किसी भी तरह छिपा हुआ नहीं है फिर भी दिल्ली का आम आदमी इस बात से खुश है की अब उसे 666 लीटर पीने का पानी मुफ्त मिला करेगा। पानी मुफ्त, बिजली 400 यूनिट तक आधी कीमतों पर (जिसका बिल आने के बाद ही पता चल सकेगा) अब दिल्ली वाले सोच रहे होंगे कि उन्हें खाना भी इसी तरह मुफ्त नहीं तो कम से कम आधी कीमतों पर तो जरूर मिल जाए! रोटी, कपड़ा और मकान जीवन के सबसे जरूरी अंग है और जीवन जीने की सबसे जरूरी आवश्यकता भी। दिल्ली की इस आवश्यकता को पूरा करने का काम ही तो अब आम आदमी की सरकार को करना है। जो कार्य आम आदमी की सरकार कर रही है वह क्या ऐसा आभास नहीं कराता कि कुछ खास वर्ग के लोगों के लिए ही है, क्या दिल्ली कि आम आदमी कि सरकार कहीं कुछ खास लोगों की सरकार तो नहीं बन जाएगी दिल्ली की जनता का अब ऐसा भी मानना है! आदरणीय अन्ना जी का मानना सही ही था कि राजनीति कीचड़ है, एक बारगी अरविंद जी का मानना भी ठीक ही था कि कीचड़ की सफाई कीचड़ में खड़े हुये बिना नहीं हो सकती, परंतु अब अरविंद जी को यह आभास हो ही गया होगा कि यहाँ केवल कीचड़ ही होता तो कोई खास परेशानी नही होती परंतु यहाँ तो चारों ओर दलदल ही दलदल है। श्री केजरीवाल जी और उनके साथी इस दलदल में उतर चुके हैं अब देखना बाकी यह है कि वे अपने आप को इस दलदल से बचाते हुये किस तरह से इसकी सफाई करते हैं। उन्हें पहले दिल्ली की जनता को उसका पूरा हक देना होगा तदुपरान्त दिल्ली और देश वास्तविक रूप से यह स्वीकार कर पाएगा की आम आदमी की पार्टी वास्तव में कुछ खास है अन्यथा ये आम पार्टी भी पुरानी पार्टियों जैसी ही आम रह जाएगी। केजरीवाल साहब को आम लोगों को भी यह सीखाना पड़ेगा कि उन्हें किस प्रकार अपनी और दिल्ली की मदद करनी है। ऑटो रिक्शा वाले को यह बताना पड़ेगा कि वे अब आम नहीं रह गए हैं। रेहड़ी-पतडी वालों को यह बताना होगा कि वे भी अब आम नहीं खास बन चुके हैं। केजरीवाल साहब को दिल्ली कि राजनीति की ही सफाई नहीं करनी है अपितु उन्हें दिल्ली की आम जनता में व्याप्त भ्रष्ट लोगों को यह सीखाना पड़ेगा कि आम आदमी की सोच क्या है! तभी श्री अरविंद केजरीवाल जी और उनकी आम आदमी पार्टी दिल्ली और राजनीति में सफल हो पाएगी नहीं तो राजनीति के धुरंधर उड़ान भरने से पूर्व ही पंख काटने की महारत भी रखते हैं। अरविंद जी की हर डगर काँटों से भरी है। उन्हें अपने पग के कांटे भी चुनने हैं और वास्तविक आम आदमी का विश्वास भी जीतना है। दिल्ली के आम आदमी का। दिल्ली की अंधिकृत कालोनियों में रहने वाला ही आम आदमी नहीं है बल्कि दिल्ली की पाश जनता भी दिल्ली की आम नागरिक है। “आप” को इस आम जनता का भी ध्यान रखना हैं। मध्यम वर्गीय और उच्च मध्यम वर्गीय आम आदमी का ध्यान भी अब श्री अरविंद जी और उनकी टीम को ही रखना है तभी जाकर आम आदमी पार्टी वास्तविक आम पार्टी बन पाएगी अन्यथा यह आम लोगों के एक खास वर्ग की पार्टी बनी रहेगी। जो ना तो दिल्ली की जनता चाहती है और न ही शायद श्री केजरीवाल जी और उनके साथी चाहेंगे।

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